उड़ीसा हाईकोर्ट ने माना कि सूचना के अधिकार अधिनियम (RTI Act) के तहत मांगी गई कर चोरी याचिका के नतीजे से संबंधित जानकारी प्रदान नहीं की जा सकती।
धारा 8(1)(i) के अनुसार, किसी भी नागरिक को मंत्रिपरिषद, सचिवों और अन्य अधिकारियों के विचार-विमर्श के रिकॉर्ड सहित कैबिनेट कागजात देने की कोई बाध्यता नहीं होगी।
याचिकाकर्ता ने रिट याचिका दायर कर याचिकाकर्ता द्वारा दायर कर चोरी याचिका के व्यापक परिणाम का खुलासा करने के लिए प्रतिवादी विभाग को निर्देश जारी करने की मांग की। याचिकाकर्ता हरमोहन सारंगी और हिमांशु सारंगी के खिलाफ कर चोरी याचिका से संबंधित जानकारी प्राप्त करना चाहता था।
लोक सूचना अधिकारी ने उनके दावे को खारिज कर दिया, जिसकी पुष्टि प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के साथ-साथ द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी ने भी की है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि वह केवल अपने द्वारा दायर कर चोरी याचिका का नतीजा जानना चाहता था। हालांकि याचिकाकर्ता ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी, लेकिन उसे यह उपलब्ध नहीं कराई गई।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने उन सामग्रियों की आपूर्ति के लिए घूम-घूमकर पूछताछ करने की कोशिश की है, जिनका RTI Act धारा 8(1) के खंड (i) के तहत निहित प्रावधानों के मद्देनजर खुलासा नहीं किया जाना चाहिए।
केस टाइटल: दीपक कुमार आचार्य बनाम आयुक्त, आयकर विभाग और अन्य