भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की रवनीत कौर (अध्यक्ष), अनिल अग्रवाल (सदस्य), स्वेता कक्कड़ (सदस्य) और दीपक अनुराग (सदस्य) की पीठ ने माना कि ज़ोमैटो द्वारा विभिन्न प्रकार की फीस, जैसे प्लेटफ़ॉर्म चार्ज, फूड फीस और डिलीवरी फीस लगाना प्रकृति में अनुचित या भेदभावपूर्ण नहीं है। साथ ही प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 (अधिनियम) की धारा 4 के अनुसार प्रभुत्वशाली स्थिति का दुरुपयोग नहीं है। संक्षिप्त तथ्य: ललित वाधेर ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में ज़ोमैटो लिमिटेड (प्रतिवादी/OP) के खिलाफ़ एक रिपोर्ट दायर की। रिपोर्ट में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं और प्रभुत्वशाली स्थिति के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया।
रिपोर्ट करने वाला सीनियर सिटीजन है और OP एक फूड डिलीवर कंपनी है, जो विभिन्न रेस्तरां और भोजनालयों से भोजन के ऑनलाइन ऑर्डर के लिए मोबाइल एप्लिकेशन (App) के माध्यम से काम करती है। ऐप उपयोगकर्ताओं को अपनी पसंद के व्यंजन का अनुरोध करने की अनुमति देता है। वह अपनी साइट पर उन रेस्तरां को दिखाता है, जिनके पास ऑर्डर किए जाने वाले फूड है, सेलेक्टिड रेस्तरां का मेनू और चार्ज दिखाता है, विभिन्न तरीकों से पेमेंट करने की सुविधा देता है। पेमेंट के बाद अनुमानित डिलीवरी टाइम देता है। फूड को निर्दिष्ट डिलीवरी पार्टनर द्वारा उपभोक्ता तक पहुंचाया जाता है।
विवाद: रिपोर्ट करने वाले ने आरोप लगाया कि OP की व्यावसायिक प्रथाएं यूजर्स के हितों के विरुद्ध हैं, क्योंकि फूड के लिए ली जाने वाली रकम आमतौर पर रेस्तरां की कीमतों से 20-30% अधिक होते हैं। इसने आगे आरोप लगाया कि आइटम का ऑर्डर और डिलीवरी होने के बाद संबद्ध रेस्तरां फूड आइटम पर कीमत का उल्लेख नहीं करते हैं। रिपोर्ट करने वाले के अनुसार यह उपभोक्ता को यह जानने से रोकता है कि OP द्वारा उससे कितनी ज्यादा फीस ली जा रही है।
फूड की उच्च कीमत के साथ OP प्लेटफ़ॉर्म चार्ज, डिलीवरी फीस, पैकिंग फीस और टिप भी लेता है। रिपोर्ट करने वाले के अनुसार, उन्हें इन फीसों को हटाने का कोई तरीका नहीं मिला। रिपोर्ट करने वाले ने यह भी आरोप लगाया कि OP अन्य समान कंपनी के साथ द्वैधाधिकार के रूप में काम कर रहा है। उसका कोई अन्य प्रतिस्पर्धी नहीं है, यही कारण है कि वह उपभोक्ता से अनुचित, अत्यधिक और एकाधिकार फीस वसूल रहा है। इसके अलावा सूचना देने वाले ने आरोप लगाया कि प्लेटफॉर्म चार्ज 5.00 रुपये से बढ़ाकर 6.00 रुपये कर दिया गया। हालांकि उपभोक्ता के लिए ऐप में कोई सुधार नहीं किया गया। यह भी आरोप लगाया गया कि जब भोजन के बारे में कोई शिकायत करनी होती है तो OP का कस्टर सर्विस उस रेस्तरां से कॉल कनेक्ट करता है, जहां से फूड ऑर्डर किया जाता है और इसकी कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। रिपोर्ट करने वाले ने कहा कि चूंकि OP उपभोक्ता को खाद्य पदार्थ वितरित करता है और भुगतान प्राप्त करता है, इसलिए वह विक्रेता बन जाता है। इसलिए माल की बिक्री अधिनियम, 1930 के अनुसार एक विक्रेता उत्पाद के प्रकटीकरण, वारंटी, मात्रा, फिटनेस और वितरण के लिए जिम्मेदार है। निष्कर्ष: रिपोर्ट करने ने वाले द्वारा लगाए गए आरोपों के अवलोकन पर आयोग ने पाया कि ओपी द्वारा विभिन्न प्रकार के फीस जैसे कि फूड फीस, प्लेटफॉर्म चार्ज, डिलीवरी फीस, टिप इत्यादि लगाए जाने से यह पाया गया कि ये फीस अनुचित और भेदभावपूर्ण प्रकृति के नहीं लगते। आयोग ने आगे कहा कि टिप के भुगतान के संबंध में इससे बाहर निकलने का विकल्प आसानी से सुलभ और दृश्यमान है। फूड आइटम की खाद्यता, पैकेजिंग पर फूड आइटम की कीमतों का खुलासा न किए जाने का मुद्दा, किसी भी प्रतिस्पर्धा संबंधी चिंता का कारण नहीं बनता। आयोग ने कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं मिलने पर रिपोर्ट बंद करते हुए कहा कि OP द्वारा प्रभुत्व की स्थिति का दुरुपयोग किया गया, जिसका अर्थ है कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम की धारा 4 के प्रावधानों का कोई उल्लंघन नहीं है और माना कि कोई जांच किए जाने की आवश्यकता नहीं है।
केस टाइटल: ललित वाधेर और ज़ोमैटो लिमिटेड।