ट्रैक पर तैनात मुलाजिम व एजेंटों की एक दूसरे से रिश्तेदारी भी
विजिलेंस द्वारा पकड़े गए 5 एजेंटों का दो दिन का रिमांड, हो सकते है कई अहम खुलासे
लुधियाना ( जसबीर सिंह ) विजिलेंस की अलग अलग टीमों ने सोमवार को पंजाब भर के आटोमेटेड ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक व आरटीओ आफिस में दबिश पर 16 एफआईआर दर्ज की है। इसमें से लुधियाना में 5 लोगो पर एफआईआर दर्ज की गई है और इन पांच लोगो को दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। इसके आलाव सोसायटी के तीन मुलाजिमों को विजिलेंस विभाग ने पूछताछ के लिए बुलाया था। विभाग द्वारा पूछताछ देर रात तक जारी रही। हालांकि इस रिमांड के दौरान कई अहम खुलासे हो सकते है। क्योंकि पकड़े गए एजेंट पिछले लंबे समय आरटीओ आफिस के अधिकारियों व कलर्कों के साथ जुड़े हुए है। स्मार्ट चिप व सोसायटी में काम करने वाले मुलाजिमों को अंदर के खेल की पूरी जानकारी होने के कारण ही वह अपने चक्रव्यू में लोगो को फंसा कर उनसे पैसे वसूलते और बिना टेस्ट के ही लाइसेंस जारी कर देते थे। हालांकि यह काम एजेंट और अंदर ट्रैक पर तैनात सोसायटी के मुलाजिमों की मिलीभुगत से ही होता था। इस संबंधी ट्रैक इंचार्ज को भी जानकारी होती थी। जिसके लिए उन्हें अलग से पैसे भी दिए जाते है।
आवेदकों को ठगने का ये निकाला है नया तरीका:
पिछले लंबे समय से आटोमेटिक ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक सेक्टर-32 व कालेज रोड के ट्रैक पर तैनात मुलाजिम के पास जब भी आवेदक पक्का लाइसेंस बनवाने के लिए जाता है तो उसे तीन पड़ाव से गुजरना पड़ता है। पहला स्क्रूटनी, फिर फोटो और टेस्ट फोटो। ट्रैक पर मुलाजिमों की शार्टेज के दौरान एक मुलाजिम के पास ही दो आईडी चलाई जा रही थी। अब जिस व्यक्ति को बिना टेस्ट दिए लाइसेंस बनवाना है तो एजेंट आवेदक की एक फोटो लुधियाना और दूसरी पक्के की फोटो जगरांव में करवाते थे। ताकि वह जगरांव से बिना टेस्ट के लाइसेंस पास करवा सके। परंतु अंदर बैठे मुलाजिमों के पास जब स्क्रूटनी व फोटो के लिए आवेदक जाता तो वह पक्के की फोटो भी दूसरी आईडी से करके आवेदक को भेज देते। जब जगरांव से फोटो करवाने के बाद आवेदक का कई दिनों तक टेस्ट संबंधी मैसेज नहीं आता तो पूछने पर पता चलता है कि दोनो फोटो सेक्टर -32 या कालेज रोड ट्रैक पर ही हुई है। जगरांव के लिए कोई फोटो नहीं हुई। अब दोबारा ट्रैक पर जाने के बाद पैसों की सेटिंग होती है। जिसके बाद बिना टेस्ट के लाइसेंस बना कर आ जाता है। इस तरह के 60 से अधिक लाइसेंस अटके हुए है।
ऐसे भी होता है खेल:
ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक पर लाइसेंस बनवाने के लिए आवेदक एजेंट के पास जाते है और लर्निंग लाइसेंस 1500 का बनवाते है। जिसमें उन्हें टेस्ट के लिए कही जाना नहीं पड़ता। फोन पर एजेंट की पुरी सेवाएं देते है। आवेदक से सिर्फ ओटीपी मांगा जाता है। वहीं पक्का लाइसेंस बनवाने के लिए अधिकतर लोग जगरांव ट्रैक का सहारा ले रहा है।
सूत्रों के मुताबिक एनआईसी द्वारा साफ्टवेयर में ही एक साथ चार एप्लीकेशन नंबर भरने की आप्शन है। यानि एक व्यक्ति अगर टेस्ट देता है तो चार एप्लीकेशन नंबर डालकर उन्हें भी पास कर दिया जाता है।
अफसर भी है शामिल:
सेक्टर-32 ट्रैक अकसर चर्चा में रहा है। जिस भी कलर्क की इस ट्रैक पर डयूटी होती थी। वह भी पैसे के रंग में रंग जाता था। जानकारी के मुताबिक ट्रैक पर काम करने वाले मुलाजिम पहले 15 से 20 हजार रुपए एक दिन का कलर्क को देते रहे है। जिसके बदलते में ट्रैक पर धड़ल्ले से एजेंट आवेदकों का बिना टेस्ट के काम करवाते रहे है। हालांकि अब सख्ती के कारण काम धीमा हो गया है परंतु बिना टेस्ट के लाइसेंस बनाने का काम अब भी जारी है। यहां ये भी बतां दे कि अमृतसर जैसे दूसरे जिलों से पर्सनल गाड़ी में आने वाले सोसायटी के मुलाजिम जिनकी तनख्वाह 16 हजार के करीब है। वह रोजाना अप-डाउन करते है। अब ऐसे में तनख्वाह से गुजारा कर पाना भी मुशिकल है तो वह अंदर खाते लोगो को काम करवाकर पैसे कमा रहे है।
एसपी विजिलेंस रेंज रुपिंदर कौर सरां ने बताया कि सोमवार को पांच एजेंटों पर पर्चा दर्ज किया गया है। उनका दो दिन का रिमांड लिया है। बाकि जांच जारी है।