भारतीय न्याय संहिता, 2023 (Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 – BNS) में, भारत सरकार ने संक्रमण फैलाने वाले गैर-जिम्मेदाराना, दुश्मनीपूर्ण या नियमों की अवहेलना करने वाले व्यवहार पर सख्त प्रावधान बनाए हैं। यह नया कानून, जो भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की जगह लाया गया है, सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इसमें व्यक्ति की हरकतों से समाज पर होने वाले प्रभाव को समझा गया है। इस लेख में, हम BNS की धारा 271, 272 और 273 का विश्लेषण करेंगे, जिनके तहत खतरनाक बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए सजा का प्रावधान है। Also Read – भारतीय न्याय संहिता, 2023 के खाद्य मिलावट और पर्यावरण प्रदूषण के प्रावधान : धारा 274, 275, 279 और 280 धारा 271: लापरवाही (Negligence) से संक्रमण फैलाने वाले कृत्य धारा 271 में लापरवाही (Negligence) का अर्थ धारा 271 उन मामलों को कवर करती है जहाँ एक व्यक्ति लापरवाहीपूर्वक ऐसा कार्य करता है जिससे खतरनाक बीमारी फैल सकती है। इस धारा के तहत उन लोगों को सजा दी जाती है जो अपनी हरकतों के परिणाम को समझते हुए भी जिम्मेदार नहीं बनते हैं और दूसरों के स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं। इस अपराध की सजा छह महीने तक की जेल, जुर्माना, या दोनों हो सकती हैं। Also Read – धारा 243, BNSS 2023: एक ही घटनाक्रम में अनेक अपराधों का संयुक्त मुकदमा – भाग 1 लापरवाही का उदाहरण कल्पना करें कि एक व्यक्ति, जो किसी संक्रामक बीमारी (Infectious Disease) से पीड़ित है, इसके बावजूद भीड़-भाड़ वाली जगह पर जाता है और स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों (Health Guidelines) की अनदेखी करता है। उसकी इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत से अन्य लोग उस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। ऐसा करते हुए उसका इरादा बुरा नहीं हो सकता, लेकिन उसके द्वारा स्वास्थ्य सुरक्षा के उपाय न अपनाना, जोखिम पैदा करता है। इस प्रकार के मामलों में धारा 271 के तहत दंड का प्रावधान है। Also Read – धारा 243 के प्रावधान और कई अपराधों का संयुक्त मुकदमा – भाग 2 इस धारा का उद्देश्य इस प्रावधान का उद्देश्य संकट के समय में गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार को रोकना है। यह लोगों को सावधान और सतर्क रहने के लिए प्रेरित करता है और सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) की सामूहिक जिम्मेदारी का महत्व समझाता है। इस धारा के माध्यम से कानून यह संदेश देता है कि एक व्यक्ति की लापरवाही पूरे समाज पर प्रभाव डाल सकती है। धारा 272: दुश्मनीपूर्वक (Malignant) तरीके से संक्रमण फैलाने वाले कृत्य Also Read – क्या जजों को एयरपोर्ट पर सुरक्षा जांच से छूट मिलनी चाहिए? धारा 272 में दुश्मनीपूर्वक (Malignant) इरादे का अर्थ धारा 272 उन मामलों पर लागू होती है जहाँ व्यक्ति दुश्मनीपूर्ण इरादे से किसी खतरनाक बीमारी को फैलाने का प्रयास करता है। यह धारा धारा 271 से अलग है क्योंकि इसमें उन हरकतों को निशाना बनाया गया है जो जान-बूझकर नुकसान पहुँचाने के इरादे से की जाती हैं। इस अपराध के लिए दो साल तक की जेल, जुर्माना, या दोनों सजा का प्रावधान है। दुश्मनीपूर्वक इरादे का उदाहरण उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति जो किसी संक्रामक बीमारी से ग्रसित है, जान-बूझकर दूसरों के पास खांसता या छींकता है ताकि उन्हें संक्रमित कर सके, तो यह गैर-जिम्मेदाराना से आगे बढ़कर इरादतन (Intentional) नुकसान पहुँचाने वाला कृत्य बन जाता है। इस प्रकार के मामलों में धारा 272 के तहत सख्त सजा का प्रावधान है। इस धारा का महत्व इस धारा की अहमियत यह है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य (Public Health) को नुकसान पहुँचाने के इरादे से किए गए कार्यों को रोकता है। इस प्रावधान के माध्यम से कानून यह सुनिश्चित करता है कि बीमारी को किसी भी उद्देश्य से फैलाने का प्रयास दंडनीय हो। इस प्रकार, समाज में स्वास्थ्य-सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी रहती है। धारा 273: क्वारंटाइन (Quarantine) के नियमों की अवहेलना (Disobedience) धारा 273 में क्वारंटाइन (Quarantine) का महत्व धारा 273 उन व्यक्तियों को दंडित करती है जो सरकार द्वारा बनाए गए क्वारंटाइन नियमों का जान-बूझकर उल्लंघन करते हैं। क्वारंटाइन के उपाय संक्रामक बीमारियों (Infectious Diseases) के प्रसार को रोकने में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर यात्रा (Transport) के दौरान। इस अपराध के लिए छह महीने तक की जेल, जुर्माना, या दोनों का प्रावधान है। क्वारंटाइन नियमों के उल्लंघन का उदाहरण उदाहरण के तौर पर, यदि कोई व्यक्ति किसी संक्रमित क्षेत्र से दूसरे सुरक्षित क्षेत्र में यात्रा करता है जबकि उसके लिए क्वारंटाइन नियम लागू हैं, तो ऐसा व्यक्ति संक्रमण फैलाने का जोखिम पैदा कर सकता है। इस प्रकार के मामलों में धारा 273 के तहत उसे दंडित किया जा सकता है। इस धारा का उद्देश्य और प्रभाव यह धारा यह स्वीकार करती है कि संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने में क्वारंटाइन का महत्वपूर्ण योगदान है। इस प्रावधान के तहत, जो लोग क्वारंटाइन नियमों (Quarantine Rules) का पालन नहीं करते, उन्हें दंडित किया जाता है ताकि सरकार द्वारा निर्धारित स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों का सभी लोग पालन करें। भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 271, 272, और 273 उन गैर-जिम्मेदाराना, दुश्मनीपूर्ण या क्वारंटाइन नियमों की अवहेलना करने वाले लोगों के लिए दंड का प्रावधान है, जो संक्रामक रोगों के फैलने का कारण बन सकते हैं। इन प्रावधानों का उद्देश्य संकट के समय में हर व्यक्ति को सतर्क और जिम्मेदार बनाना है। BNS के ये प्रावधान सार्वजनिक स्वास्थ्य को साझा जिम्मेदारी के रूप में स्वीकारते हैं और समाज के उन व्यक्तियों को दंडित करने का साधन देते हैं जो अपने कार्यों से स्वास्थ्य को खतरे में डालते हैं, चाहे वह लापरवाही, इरादतन या नियमों की अवहेलना के रूप में हो।