लुधियाना (arjan )
ट्रांसपोर्ट विभाग की ओर से लोगो के लिए आनलाइन सुविधा शुरु की गई है। परंतु आवदेकों को यह आनलाइन सुविधा रास नहीं आ रही है। क्योंकि रिन्यूवल व कमर्शियल वाहनों की पासिंग के लिए लोगो को परेशान होना पड़ रहा है। एमवीआई के पास जा कर वाहनों की पासिंग करवाने के बावजूद भी लोगो को आरटीओ आफिस में आकर फाइलें जमा करवानी पड़ रही है। जबकि आनलाइन वाहन संबंधी सारा रिकार्ड अपलोड किया जाता है। इस लोगो को जहां परेशान होना पड़ रहा है वहीं एजेंट का सहारा लेने को भी मजबूर हो रहे है। ताकि वह दो पैसे अधिक देकर घर बैठे ही काम करवा सके। यहां भी बतां दे कि गत दिनों पहले एमवीआई पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे थे। जिसके शिकायत विजिलेंस को भी सौंपी गई है और विजिलेंस की तरफ से जांच जारी है।
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सूत्रों की माने तो कुछ समय पहले विजिलेंस द्वारा लुधियाना और जालंधर के मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर को विजिलेंस ने रिशवत के आरोप में दबोचा था। उस समय एमवीआई के साथ जो दो प्राइवेट कारिंदे पैसे लेन देन और एजेंटों से फाइलें एकत्रित करने का काम करते थे। वही इस समय एमवीआई नरिंदर कुमार के साथ काम कर रहे है।
हैल्प डेस्क का लिया जा रहा सहारा:
बतां दे कि आरटीओ आफिस में लोगो की सुविधा के लिए हैल्प डेस्क स्थापित किया गया है। ताकि जिन लोगो का आरसी व लाइसेंस संबंधी कोई काम नहीं हो रहा है तो वह यहां पर एप्लीकेशन नंबर लिखवाएं ताकि काम हो सके। विभाग ने जब आनलाइन सिस्टम शुरु किया है तो लोगो को बार बार आरटीओ आफिस चक्कर क्यो काटने पड़ रहे है।
एमवीआई के कार्यो पर आरटीओ का पर्दा:
मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के कार्य पर पर्दा डालते हुए आरटीओ रनदीप हीर ने बताया कि अगर मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर द्वारा वाहनों की चेकिंग के बाद अपनी आईडी से वेरिफिकेशन नहीं की जाती तो वह आरटीओ आफिस में हेल्प डेस्क पर एप्लीकेशन नंबर नोट करवाए और वह काम करवा कर देंगे। जब एमवीआई के पास आवेदक वाहन लेकर पहुंच रहा है और 3-4 घंटे धूप में खड़े होकर वाहन की पासिंग करवा रहे है तो एमवीआई अपने स्तर पर काम क्यो नहीं कंप्लीट कर रहे है।
जहां वाहनों की पासिंग की जा रही वहां नहीं कोई सुविधा:
बतां दे कि मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर द्वारा जिस रोड पर वाहनों की पासिंग की जा रही है वहां पर न तो पानी की सुविधा है और नहीं छांव की। तपती धूप में लोग वाहनों की पासिंग करवाने के लिए जालंधर बाईपास नजदीक टाइगर सफारी के पास आते है। पासिंग के बाद आवेदकर को 25 नंबर फार्म दिया जाता है और उसके बाद आरटीओ आफिस जा कर काम करवाना होता है।
ट्रांसपोर्टर पुष्पिंदर सिंह ने बताया कि कमर्शियल वाहनों की पासिंग के लिए मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पास गाड़ियों को भेजा जाता है परंतु उनकी ओर से अपनी आईडी से वाहनों की पासिंग की अप्रूवल नहीं की जाती। आवेदक चक्कर पर चक्कर काटते है। जो सेटिंग कर लेता है उसका काम जल्द हो जाता है।
आरटीओ रनदीप हीर ने बताया कि उनके पास एमवीआई संबंधी कोई शिकायत नहीं आई है। अगर विजिलेंस को शिकायत हुई है तो वह अपने स्तर पर जांच करेंगे। वहीं एसएसपी विजिलेंस रविंदर पाल सिंह संधू ने बताया कि उनके पास एमवीआई की शिकायत आई है और उसकी जांच चल रही है। सभी तथ्यों को देखते हुए कार्रवाई की जा रही है कि किस तरह से गलत वाहनों की पासिंग की गई है।
मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर नरिंदर कुमार से जब इस संबंधी बात की तो उन्होंने कहा कि विजिलेंस में जो शिकायत है वह पुरानी है। जहां बात वाहनों की पासिंग की है आवेदकों को वाहनों की पासिंग के दौरान 25 नंबर फार्म दिया जाता जो आवेदक द्वारा अपलोड किया जाता है। आवेदक कब फार्म को अपलोड करता है उन्हें नहीं पता। इसलिए 10 दिन का काम पेंडिंग रख कर किया जाता है। जो लोग लेट फार्म अपलोड करते है उसकी जानकारी हेल्प डेस्क से ली जाती है।