सुप्रीम कोर्ट ने आज (19 अप्रैल को) योग गुरु बाबा रामदेव की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उनकी कथित टिप्पणी कि एलोपैथी COVID-19 का इलाज नहीं कर सकती है, को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज कई एफआईआर को एक साथ जोड़ दिया जाए।
जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एसवीएन भट्टी की खंडपीठ के सामने मामला रखा गया।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की शिकायतों के आधार पर बाबा रामदेव के खिलाफ बिहार और छत्तीसगढ़ राज्यों में एफआईआर दर्ज की गईं। इसके अलावा, आईएमए के पटना और रायपुर चैप्टर ने रामदेव के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई कि उनकी टिप्पणियों से COVID-19 नियंत्रण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है, क्योंकि प्रभाव की स्थिति में उनके द्वारा फैलाई गई गलत सूचना लोगों को महामारी के खिलाफ उचित उपचार का लाभ उठाने से रोक सकती है।
एफआईआर में आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 188, 269, 504 और अन्य प्रावधानों के तहत अपराधों का उल्लेख है।
रामदेव को पतंजलि आयुर्वेद द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दिए गए वादे का उल्लंघन करते हुए भ्रामक मेडिकल विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुरू की गई अवमानना कार्यवाही का भी सामना करना पड़ रहा है।
केस टाइटल: स्वामी राम देव बनाम भारत संघ, डब्ल्यू.पी.(सीआरएल) नंबर 265/2021