पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने बुधवार (16 अप्रैल) को विपक्ष के नेता (LOP) एवं कांग्रेस विधायक प्रताप सिंह बाजवा की उस याचिका पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा, जिसमें देश की संप्रभुता एवं एकता को खतरे में डालने वाली भ्रामक सूचना सहित अन्य आरोपों के लिए उनके खिलाफ दर्ज FIR रद्द करने की मांग की गई। बाजवा ने कथित तौर पर एक टीवी शो में कहा कि पंजाब में 50 बम पहुंच चुके हैं। जस्टिस दीपक गुप्ता की अवकाश पीठ ने 22 अप्रैल के लिए नोटिस जारी करते हुए कहा कि अगली सुनवाई की तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
बाजवा ने कथित तौर पर शो में दिए गए बयान के आधार पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) द्वारा धारा 353 (2) और 197 (1) (डी) (राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक आरोप अभिकथन) के तहत दर्ज FIR रद्द करने के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। धारा 353(2) में कहा गय कि जो कोई भी व्यक्ति धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास, भाषा, जाति या समुदाय या किसी भी अन्य आधार पर विभिन्न धार्मिक, नस्लीय, भाषाई या क्षेत्रीय समूहों या जातियों या समुदायों के बीच दुश्मनी, घृणा या दुर्भावना की भावना पैदा करने या बढ़ावा देने के इरादे से झूठी सूचना, अफवाह या खतरनाक समाचार वाली कोई भी बयान या रिपोर्ट बनाता, प्रकाशित या प्रसारित करता है, उसे तीन साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों से दंडित किया जाएगा।