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रेत परिवहन के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करना राज्य का कर्तव्य: पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट

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पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया यह राज्य का कर्तव्य है कि वह परिवहन के व्यवसाय में लगे यातायात के लिए वैकल्पिक मार्ग प्रदान करे।

एक्टिंग चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी लुधियाना में खनन स्थल के पास पंजाब के गांव के निवासियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहे थे, जिन्होंने आरोप लगाया कि ग्रामीणों को “प्रतिवादी नंबर 9 (तिरुपति अर्थ एंड प्रोजेक्ट वर्क्स प्राइवेट लिमिटेड) के रेत ले जाने वाले भारी-भारी वाहनों के यातायात से गुजरने के कारण गंभीर स्वास्थ्य संबंधी खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

याचिका में कहा गया कि खनन स्थल से आने वाले रेत से लदे भारी वाहन 2500 से 3000 लोगों की आबादी को प्रभावित कर रहे हैं, जिनमें 250-300 स्कूली बच्चे शामिल हैं और वायु एवं ध्वनि प्रदूषण का कारण बन रहे हैं।

याचिकाकर्ता के वकील ने बड़ी संख्या में तस्वीरें पेश कीं जिनमें दिन और रात दोनों समय रेत ले जाने वाले भारी वाहनों की संख्या दिखाई गई। न्यायालय ने कहा कि खनन से भारी रॉयल्टी अर्जित करने का राज्य का अधिकार तीनों गांवों के निवासियों की कीमत पर नहीं हो सकता।

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कोर्ट ने कहा,

“स्कूल बसों और पैदल यात्रियों सहित अन्य वाहनों की दुर्दशा सड़क पर फंसी हुई है। इसके अलावा कई बार भारी वाहन अपने साथ ले जाने वाली सामग्री के कारण आसपास के खेतों में पलट गए हैं।”

राज्य अधिकारियों द्वारा दायर हलफनामे पर गौर करते हुए कोर्ट ने असंतोष व्यक्त किया और 01.01.2024 से 31.03.2024 तक संबंधित साइट से हटाए गए वाहनों का विवरण देते हुए हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

मामले को आगे के विचार के लिए 21 मई के लिए सूचीबद्ध किया गया।

केस टाइटल- चरणजीत सिंह बनाम भारत संघ और अन्य

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