Home Delhi युद्ध के लिए तैयार रहे जनता : राजनाथ सिंह

युद्ध के लिए तैयार रहे जनता : राजनाथ सिंह

89
0
ad here
ads
ads

कारगिल दिवस की 24वीं वर्षगांठ पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के वीर सपूतों को याद किया. उन्होंने कहा कि 1999 में करगिल की चोटी पर देश के सैनिकों ने जो वीरता का प्रदर्शन किया, जो शौर्य दिखाया, वह इतिहास में हमेशा स्वर्ण अक्षरों में अंकित रहेगा.

उन वीर सपूतों को सलाम करता हूं. उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.

ad here
ads

रक्षा मंत्री ने कहा कि ये देश वीर जवानों के बल पर बार-बार उठा है. उन्होंने कहा कि करगिल युद्ध भारत के ऊपर एक थोपा गया युद्ध था. उस समय देश ने पाकिस्तान से बातचीत के माध्यम से मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया. अटल जी ने खुद पाकिस्तान की यात्रा करके कश्मीर सहित अन्य मुद्दों को सुलझाने का प्रयास किया था लेकिन पाकिस्तान द्वारा हमारी पीठ में खंजर घोंप दिया गया.

राजनाथ सिंह ने कहा कि उस समय अगर हमने एलओसी पार नहीं किया, तो इसका मतलब यह नहीं कि हम LoC पार नहीं कर सकते थे. हम एलओसी पार कर सकते थे, हम एलओसी पार कर सकते हैं और जरूरत पड़ी तो भविष्य में LoC पार करेंगे. मैं देशवासियों को यह विश्वास दिलाता हूं.

रक्षा मंत्री ने कहा कि हाल के दिनों में युद्ध जिस तरह से लंबे खिंचते जा रहे हैं, आने वाले समय में जनता को सिर्फ इनडायरेक्ट रूप से ही नहीं, बल्कि डायरेक्ट रूप से भी युद्ध में शामिल होने के लिए तैयार रहना चाहिए. मेरा यह मानना है कि जनता को इस बात के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना होगा कि जब भी राष्ट्र को उनकी आवश्यकता पड़े, वह सेना की सहायता के लिए तत्पर रहें.

उन्होंने कहा कि मैं देश की जनता से यह कहना चाहता हूं कि जिस प्रकार से हर एक सैनिक भारतीय हैं, उसी प्रकार से हर एक भारतीय को भी एक सैनिक की भूमिका निभाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए. रक्षा मंत्री ने कहा कि युद्ध में सिर्फ सेना ही नहीं लड़ती बल्कि कोई भी युद्ध दो राष्ट्रों के बीच होता है, उनकी जनता के बीच होता है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि किसी भी युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से सेनाएं तो भाग लेती ही हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष रूप से आप देखें तो उस युद्ध में किसान से लेकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक व कई सारे पेशों के लोग शामिल होते हैं.भारतीय सेना के जवानों के सामने ऐसे खतरे आते रहते हैं, जहां उनका सामना मौत से होता रहता है. लेकिन वह बिना डरे, बिना रुके सिर्फ इसलिए मौत से भिड़ जाते हैं, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उसका अस्तित्व उसके राष्ट्र से है.
इस दौरान राजनाथ सिंह ने कैप्टन मनोज पांडे का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि उनके (मनोज पांडे) उस उद्घोष को भला कौन भूल सकता है, जब उन्होंने कहा था, ”यदि मेरे फर्ज की राह में मौत भी रोड़ा बनी, तो मैं मौत को भी मार दूंगा” ऐसी वीरता के सामने तो दुनिया की कोई भी शक्ति नहीं टिक सकती तो भला पाकिस्तान की क्या बिसात.
उन्होंने कहा कि भारत की तरफ चली हर एक गोली को हमारे सैनिकों ने अपनी फौलादी छातियों से रोक दिया. करगिल युद्ध, भारत के सैनिकों की वीरता का प्रतीक है, जिसे सदियों तक दोहराया जाएगा. असम के कैप्टन जिंटू गोगोई, जिन्होंने ”बद्री विशाल की जय” के उद्घोष के साथ हमला किया और कालापत्थर को दुश्मन से आजाद कराया.
सिंह ने कहा कि केरल के लेफ्टिनेंट कर्नल आर. विश्वनाथन, जो दुश्मन की भीषण गोलीबारी के बीच 15,000 फीट की ऊंचाई तक पहुंचने में कामयाब रहे. पंजाब के लेफ्टिनेंट. विजयंत थापर, जिन्होंने युद्ध में जाने से पहले अपने घरवालों को खत लिखा था, कि अगर फिर से मेरा जन्म हुआ तो मैं एक बार फिर सैनिक बनना चाहूंगा.
रक्षा मंत्री ने कहा कि राजस्थान के सूबेदार मंगेज सिंह, जिन्होंने घायल हालत में ही बंकर के पीछे पाकिस्तानी सैनिकों पर जमकर कई राउंड फायरिंग की, और 7 दुश्मनों को ढेर किया. ऐसे ही न जाने कितने ही वीरों ने अपने देश के गौरव को बचाए रखने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था.

उन्होंने कहा कि कई ऐसे सैनिक थे जिनकी कुछ दिनों पहले शादी हुई थी, कई ऐसे सैनिक थे जिनका विवाह भी नहीं हुआ था, कई ऐसे सैनिक थे, जो अपने परिवार के इकलौते कमाने वाले थे. मगर उन्होंने व्यक्तिगत जीवन की उन सारी परिस्थितियों का सामना करते हुए राष्ट्र के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया, क्योंकि उनके मन में यह भावना थी कि तेरा वैभव अमर रहे मां, हम दिन चार रहें न रहें.

ad here
ads
Previous article
Next articleਸੂਬਾ ਪੱਧਰੀ ਹੜਤਾਲ ਦਾ ਐਲਾਨ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here