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महिला की अप्राकृतिक मौत की खराब जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब पुलिस को फटकार लगाई; SIT गठित की

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एक महिला की हत्या के मामले में पंजाब राज्य की खराब जांच पर उसे फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए पंजाब कैडर के गैर-राज्य अधिकारियों की विशेष जांच टीम (SIT) गठित करने का निर्देश दिया। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने आदेश पारित करते हुए पंजाब के पुलिस महानिदेशक को एक सप्ताह के भीतर SIT गठित करने का निर्देश दिया, जिसमें पंजाब कैडर के दो आईपीएस अधिकारी शामिल होंगे, जिनकी जड़ें राज्य में नहीं हैं और एक महिला अधिकारी जो डीएसपी (या उससे ऊपर) के पद की हो।
कोर्ट का मानना ​​है कि पीड़िता की मौत “अप्राकृतिक” है और अगर परिस्थितियों की श्रृंखला को पूरा करने के लिए समय पर जांच की गई होती, तो जांच तार्किक निष्कर्ष पर पहुंच जाती। आदेश में कहा गया, “हमें लगता है कि राज्य पुलिस निष्पक्ष और न्यायपूर्ण तरीके से मामले की जांच करने में विफल रही है। चार्जशीट दाखिल होने के बाद जांच को अपराध शाखा को सौंपना भी अजीबोगरीब कार्रवाई है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, क्योंकि एक बार चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद यह विचार करना न्यायालय का विशेषाधिकार है कि आगे जांच की आवश्यकता है या नहीं।”
याचिकाकर्ता (पीड़िता के पिता) ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट द्वारा प्रतिवादी नंबर 2 (पीड़िता के पति) को जमानत दिए जाने से व्यथित होकर तत्काल मामला दायर किया। जब परिवार अमृतसर में रह रहा था तो पीड़िता का कथित तौर पर पड़ोसी के साथ विवाहेतर संबंध था, जिसने उस पर उससे शादी करने का दबाव बनाया। हालांकि, वह दबाव में नहीं आई और प्रतिवादी नंबर 2 के साथ गुरदासपुर चली गई। 2020 में पीड़िता को उसके शरीर पर कई चोटों के साथ मृत पाया गया और पोस्टमॉर्टम ने पुष्टि की कि यह “अप्राकृतिक मौत” का मामला है।
प्रतिवादी नंबर 2 ने कोई FIR दर्ज नहीं करवाई, लेकिन पीड़िता के पिता ने ही हत्या का मामला दर्ज करवाया। हालांकि, पड़ोसी (जिसके साथ पीड़िता का कथित तौर पर विवाहेतर संबंध था) और उसकी माँ पर शुरू में संदेह था, लेकिन जांच अधिकारी को अंततः कोई पुष्टि करने वाली सामग्री नहीं मिली। किसी समय प्रतिवादी नंबर 2 को गिरफ्तार कर लिया गया और आरोप पत्र दायर किया गया। हालांकि, जांच को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया, जिसने प्रतिवादी नंबर 2 को दोषमुक्त कर दिया।
इस पृष्ठभूमि में प्रतिवादी नंबर 2 को हाईकोर्ट द्वारा आरोपित आदेश के तहत जमानत दी गई। सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने न केवल प्रतिवादी नंबर 2 को जमानत दिए जाने पर बल्कि मामले में की गई जांच के तरीके पर भी सवाल उठाए। 08.09.2021 को न्यायालय ने आगे की जांच की स्थिति का पता लगाने के लिए मामले में सीमित नोटिस जारी किया। याचिकाकर्ता के सीनियर वकील ने बताया कि न्यायालय के 2021 के आदेश के बावजूद कोई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई। जस्टिस कांत ने पंजाब राज्य की ओर से पेश हुए वकील से पूछा, “आपके राज्य में क्या हो रहा है? अप्राकृतिक मौत हुई है। हत्या का स्पष्ट मामला है। पिछले कितने सालों से आप ऐसा नहीं कर पाए हैं?” राज्य के वकील ने कहा कि उन्हें कल रात ही मामले की जानकारी मिली है और उन्होंने 1 सप्ताह के भीतर व्यापक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांगा। हालांकि खंडपीठ ने SIT के गठन का निर्देश देते हुए मामले का निपटारा करने का फैसला किया। ऐसा करते हुए उसे प्रतिवादी नंबर 2 को जमानत देने में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं मिला और उसने राज्य पुलिस को उसकी खराब जांच के लिए फटकार लगाई। केस टाइटल: दीपक गुप्ता बनाम पंजाब राज्य और अन्य, एसएलपी (सीआरएल) नंबर 6899/2021

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