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पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने व्हाट्सएप मैसेज में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोपी वकील पर 50 हजार का जुर्माना लगाया, बार काउंसिल से उसके आचरण पर नजर रखने को कहा

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पंजाब एंड हरियाणा हाइकोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल को निर्देश दिया है कि वह एक वकील के कार्य एवं आचरण पर नजर रखना सुनिश्चित करें जिस पर एक व्हाट्सएप ग्रुप पर हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक मैसेज पोस्ट करने का आरोप है।

समझौता विलेख के आधार पर एफआईआर को रद्द करते हुए जस्टिस कुलदीप तिवारी ने कहा,

“इस आदेश की एक कॉपी पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के अध्यक्ष को भी भेजी जाए साथ ही निर्देश दिया जाए कि इसे आरोपी की व्यक्तिगत फाइल में रखा जाए। पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के अध्यक्ष वर्तमान याचिकाकर्ता के कृत्य एवं आचरण पर भी नजर रखेंगे और यदि याचिकाकर्ता द्वारा भविष्य में कोई ऐसा ही अपराध किया जाता है, तो उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।”

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अदालत ने एफआईआर को रद्द करते हुए 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि यदि एक सप्ताह के भीतर यह जुर्माना जमा नहीं किया जाता है, तो रद्द करने की राहत स्वतः ही निरस्त मानी जाएगी और यह याचिका खारिज मानी जाएगी।

पेशे से वकील प्रीतपाल सिंह संघा पर पंजाब के होशियारपुर में आईपीसी की धारा 153-ए, 295-ए, 505 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। अशोक सरीन ने शिकायत दर्ज कराई थी कि संघा ने हिंदू समुदाय की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप में अपमानजनक और अपमानजनक मैसेज पोस्ट किया था।

संघा के वकील ने कहा कि बाद में मामले में पक्षों के बीच समझौता हो गया और इसलिए मामले को रद्द करने की याचिका दायर की गई। पिछली कार्यवाही में, न्यायालय ने पक्षों को संबंधित ट्रायल कोर्ट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया था ताकि समझौते की प्रामाणिकता के आधार पर उनके संबंधित बयान दर्ज किए जा सकें। परिणामस्वरूप बयान दर्ज किए गए। यह कहते हुए कि तथ्य यह है कि जिन अपराधों के लिए याचिकाकर्ता/आरोपी पर आरोप लगाया गया है वे गंभीर प्रकृति के नहीं हैं

न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर लिया।

केस टाइटल- प्रीतपालजीत सिंह संघ बनाम पंजाब राज्य और अन्य

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