Home Ambala ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। हालाँकि...

ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि केतु के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त हों !

491
0
ad here
ads
ads

ज्योतिष में केतु ग्रह को एक अशुभ ग्रह माना जाता है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि केतु के द्वारा व्यक्ति को हमेशा ही बुरे फल प्राप्त हों।

केतु ग्रह के पास मस्तिष्क नहीं है अर्थात यह जिस भाव में या जिस ग्रह के साथ रहता है, उसी के अनुसार फल देने लगता है।
केतु का सीधा प्रभाव मन से है अर्थात केतु की निर्बल या अशुभ स्थिति चंद्रमा अर्थात मन को प्रभावित करती है और आत्मबल कम करती है। केतु से प्रभावित व्यक्ति अक्सर डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं। भय लगना, बुरे सपने आना, शंकालु वृत्ति हो जाना भी केतु के ही कारण होता है।
केतु और चंद्रमा की युति-प्रतियुति होने से व्यक्ति मानसिक रोगी हो जाता है।
केतु ग्रह के द्वारा व्यक्ति को शुभ फल भी प्राप्त होते हैं। यह आध्यात्म, वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक आदि का कारक होता है। ज्योतिष में राहु को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन वृश्चिक केतु की उच्च राशि है, जबकि वृषभ में यह नीच भाव में होता है।
वहीं 27 रुद्राक्षों में केतु अश्विनी, मघा और मूल नक्षत्र का स्वामी होता है। यह एक छाया ग्रह है। वैदिक शास्त्रो के अनुसार केतु ग्रह स्वरभानु राक्षस का धड़ है। जबकि इसके सिर के भाग को राहु कहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में केतु के नीच का होने से जातक को कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। व्यक्ति के सामने अचानक कोई न कोई बाधा आ जाती है।
अगर व्यक्ति किसी कार्य के लिए जो निर्णय लेता है तो उसमें उसे असफलता का सामना करना पड़ता है। केतु के कमजोर होने पर जातकों के पैरों में कमजोरी आती है।
केतु ग्रह की शांति के लिए भगवान श्री गणेश जी की पूजा सर्वाधिक लाभकारी होती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह का एक देवी/देवता से गहन संबंध होता है.
उस ग्रह की ऊर्जा या उसके गुण उस देवी/देवता की ऊर्जा व गुणों से मिलते-जुलते हैं. गणेश जी को केतु के अधिपति देवता माना गया है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार केतु के पास सिर्फ धड़ है सिर नहीं है और श्री गणेश जी के पास भी सिर्फ धड़ था सिर नहीं था क्योंकि उनके पिता देवादिदेव महादेव ने उनका सिर काट दिया था ।
और बाद में उन्हें गजमुख लगाया गया. गणेश जी की नियमित रूप से पूजा करने से केतु ग्रह का प्रकोप शांत होने लगता है.
केतु ग्रह की शांति के लिए श्री गणेश चालीसा, श्री गणेश अथर्वशीर्ष, संकटनाशन श्री गणेश स्तोत्र का पाठ बेहद कल्याणकारी होता है.
गणेश जी के मंत्रों का जाप करने से भी केतु ग्रह के दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है.
हिंदू संस्कृति में भगवान गणेश प्रथम पूज्य देव हैं और राशि चक्र(भचक्र) की शुरुआत भी केतु के प्रथम नक्षत्र अश्विन नक्षत्र से होती है इसलिए भगवान गणेश जी इस ग्रह के देवता हैं.
केतु जीवन चक्र की एक अवस्था की समाप्ति के बाद दूसरे चक्र के प्रारंभ को दर्शाता है. गणेश जी की पूजा-अर्चना करने से केतु ग्रह की पीड़ा कम होने लगने लगती है.
केतु ग्रह को अपने अनुकूल करने के लिए बुधवार के दिन प्रात: जल में लाल चन्दन डालकर स्नान करने से केतु ग्रह के अनुकूल फल मिलते है।
काले रंग के कुत्ते को दूध देना शुरू करें
कुंडली विशेषज्ञ——-
ज्योतिष आचार्य —शिवम भारद्वाज
संपर्क करें ——8851410447

ad here
ads
Previous article13 ਸਤੰਬਰ ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੀ ਅਮ੍ਰਿਤਸਰ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਹੋ ਰਹੇ ਸਮਾਗਮ ਵਿੱਚ ਵਰਕਰ ਅਤੇ ਅਹੁਦੇਦਾਰ ਕਰਨਗੇ ਸ਼ਮੂਲੀਅਤ !
Next articleਅਰੋੜਾ ਦੀ ਸਖ਼ਤ ਮਿਹਨਤ ਸਦਕਾ ਭਾਈ ਬਾਲਾ ਚੌਕ ਤੋਂ ਸਿੱਧਵਾਂ ਕੈਨਾਲ (ਨੇੜੇ ਗੁਰੂਦੁਆਰਾ ਨਾਨਕਸਰ) ਤੱਕ ਐਲੀਵੇਟਿਡ ਰੋਡ ਦਾ ਖੁੱਲ੍ਹ ਗਿਆ ਹਿੱਸਾ !

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here