पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय और पंजाब सरकार से हलफनामा मांगा कि चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से केवल दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें क्यों हैं। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल ने कहा, “चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट अथॉरिटी लिमिटेड की ओर से भी इस बात का कोई स्पष्टीकरण नहीं आया कि चंडीगढ़ (केंद्र शासित प्रदेश और दो समृद्ध राज्यों की राजधानी) से प्रतिदिन केवल दो अंतरराष्ट्रीय उड़ानें यानी शारजहां और दुबई क्यों हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमृतसर जैसे जिला मुख्यालय से भी विभिन्न देशों के लिए 14 से अधिक अंतरराष्ट्रीय उड़ानें हैं।” Also Read – पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने LLM स्टूडेंट की उत्तर पुस्तिका को ‘AI-जनरेटेड’ घोषित करने के खिलाफ याचिका पर जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को नोटिस जारी किया कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव से हलफनामा दाखिल करने को कहा कि चंडीगढ़ से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या स्थिर क्यों है? अठारह महीने से अधिक समय पहले एयरपोर्ट के कैट-II आईएलआर के अनुरूप होने के बावजूद इसमें वृद्धि क्यों नहीं की गई। कोर्ट ने पंजाब सरकार से हलफनामा भी मांगा, जिसमें बताया जाए कि चंडीगढ़ अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाए गए। Also Read – FSL के पास लंबित मामलों की बड़ी संख्या राज्यों द्वारा समय पर न्याय देने में घोर विफलता: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ये टिप्पणियां अंतरराष्ट्रीय टर्मिनल के गैर-संचालन पर दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए की गईं, जिसमें कहा गया कि इससे न केवल सरकारी खजाने को बल्कि पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में यात्री सेवाओं और व्यापार को भी भारी नुकसान हो रहा है। इससे पहले, कोर्ट ने हवाई अड्डे के लिए छोटे मार्ग के मुद्दे पर भी गहन विचार-विमर्श किया था। एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एस.पी.जैन की अध्यक्षता में समिति गठित की गई थी, जिसे प्रस्तावित छोटे मार्ग को शीघ्र पूरा करने के लिए समयसीमा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था। Also Read – पंजाब यूनिवर्सिटी को स्कॉलरशिप का पैसा न देने पर हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार के शीर्ष अधिकारियों को भेजा समन, कहा- सौ छात्रों का करियर दांव पर कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट का मुख्य मुद्दा लापरवाह अंतरराष्ट्रीय उड़ानें थीं, नाइट लैंडिंग सुविधा की अनुपलब्धता सबसे बड़ी बाधा थी, “जिसे मार्च, 2023 में कैट- II आईएलआर की स्थापना करके हल किया गया था।” हालांकि, वैकल्पिक मार्ग के निर्माण की समयसीमा अभी भी अधर में लटकी हुई है और आज तक प्रस्तुत नहीं की गई। इस संबंध में कोर्ट ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव को भी निर्देश दिया। भारत सरकार से यह प्रमाण-पत्र मांगा गया कि क्या हवाई अड्डे का विस्तार करने की कोई योजना है और यदि हां, तो हवाई अड्डे के किस तरफ? मामले को आगे के विचार के लिए 06 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया गया।