इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में फ़ैसले सुनाया कि सास भी घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत केस दर्ज करा सकती है। यह मामला ट्रायल कोर्ट उस निर्णय से संबंधित है, जिसमें कोर्ट ने बहू और उनके परिवार के सदस्यों को सास की दायर शिकायत पर समन जारी किया था। बहू के घर वालों ने बाद में ट्रायल कोर्ट के इस समन के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। जस्टिस आलोक माथुर सुनवाई के दौरान ट्रायल कोर्ट के इस निर्णय को बरकरार रखा।
हाईकोर्ट में बहू के वकील ने दलील दी कि उन्होंने (बहू) अपने ससुराल वालों के खिलाफ घरेलू हिंसा और दहेज का मामला दर्ज कराया है। इसी कारण सास ने भी शिकायत दर्ज कराई है। अदालत ने गरिमा और 5 अन्य बनाम यूपी राज्य मामले का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया था, “सास को बहू या परिवार के किसी दूसरे सदस्य द्वारा परेशान किया जाता है, शारीरिक या मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है तो निश्चित रूप से वो पीड़ित व्यक्ति के दायरे में आएगी।”
कोर्ट ने आगे कहा था, “ऐसे में उन्हें घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 12 के तहत शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होगा।” सास ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि बहू अपने पति पर उसके मायके में जाकर रहने के लिए दबाव बना रही है। उन्होंने अपनी शिकायत में इसके अलावा ये भी कहा कि बहू उनके और अन्य परिवार के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार कर रही है और झूठे केस में फंसाने की धमकी दे रही है।